Thursday, September 18, 2025

राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम भारत में खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भरता(NMEO-OP)| National Mission on Edible Oils-Oil Palm (NMEO-OP) All Information In Hindi

भारत में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग और आयात पर अत्यधिक निर्भरता ने सरकार को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता महसूस कराई। इसके तहत, दो प्रमुख मिशन – राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम (NMEO-OP) और राष्ट्रीय तिलहन और खाद्य तेल मिशन (NMEO-Oilseeds) की शुरुआत की गई। इन मिशनों का उद्देश्य न केवल खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाना है, बल्कि भारत को खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही किसानों की आय में भी सुधार लाना है।


राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम (NMEO-OP): एक नई दिशा

भारत में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग और आयात पर निर्भरता को देखते हुए सरकार ने NMEO-OP की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। तेल पाम (Oil Palm) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह मिशन स्थापित किया गया है। तेल पाम एक ऐसी फसल है जो सबसे अधिक तेल उत्पन्न करती है, जिससे पाम तेल और पाम कर्नल तेल जैसी प्रमुख खाद्य तेलों की प्राप्ति होती है।

भारत में तेल पाम का उत्पादन पश्चिम अफ्रीका से शुरू हुआ और अब यह भारत के कई राज्यों में उगाई जाती है। तेल पाम की खेती में सरकार की कई योजनाएं शामिल हैं, जैसे इंटीग्रेटेड स्कीम ऑन ऑइलसीड्स, पल्सेस, ऑयल पाम, और मक्का (ISOPOM), जो इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कार्यान्वित की गई हैं। इन योजनाओं के तहत किसानों को बेहतर बीज, कृषि तकनीक, और आधुनिक उपकरण प्रदान किए जाते हैं।


तेल पाम की खेती का विकास और चुनौतियाँ

भारत में तेल पाम की खेती की शुरुआत 1991-92 में केवल 8585 हेक्टेयर क्षेत्र में हुई थी, लेकिन 2020-21 में यह बढ़कर 3.70 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई। इसके साथ ही, फ्रेश फ्रूट बंचेस (FFBs) का उत्पादन 0.21 लाख टन से बढ़कर 16.89 लाख टन हो गया है। हालांकि, इस क्षेत्र में अभी भी पर्याप्त वृद्धि की संभावना मौजूद है, खासकर उत्तर-पूर्वी राज्यों में जहां इसके उत्पादन को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।

भारत में तेल पाम की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और केरल में होती है, जो कुल उत्पादन का 98% योगदान करते हैं। इसके अलावा, कर्नाटका, तमिलनाडु, ओडिशा, और मिजोरम में भी तेल पाम की खेती की जाती है। अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, और नागालैंड में भी हाल के वर्षों में तेल पाम के पौधारोपण पर जोर दिया गया है।

लेकिन, तेल पाम की खेती में कुछ बड़ी चुनौतियाँ भी हैं, जिनमें सबसे बड़ी समस्या फ्रेश फ्रूट बंचेस (FFBs) के लिए सुनिश्चित मूल्य का अभाव है। बाजार में उतार-चढ़ाव के कारण इसका मूल्य अस्थिर रहता है, जिससे किसानों को नुकसान होता है। इसके अलावा, किसानों को FFB के मूल्य के लिए कोई समर्थन नहीं मिलता, जिससे उन्हें अतिरिक्त कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।


राष्ट्रीय तिलहन और खाद्य तेल मिशन (NMEO-Oilseeds): आत्मनिर्भरता की ओर

भारत में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग को पूरा करने और आयात पर निर्भरता को कम करने के उद्देश्य से सरकार ने राष्ट्रीय तिलहन और खाद्य तेल मिशन (NMEO-Oilseeds) की शुरुआत की है। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य तिलहन की फसलों जैसे मूंगफली, सोयाबीन, सरसों, सूरजमुखी, और पाम ऑयल के उत्पादन को बढ़ावा देना है।

वर्तमान में भारत अपनी खाद्य तेल की आवश्यकता का लगभग 60% आयात करता है। यह मिशन तिलहन उत्पादन को बढ़ाकर इस निर्भरता को कम करने का प्रयास कर रहा है। मिशन का उद्देश्य तिलहन उत्पादन में वृद्धि के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम बढ़ाना है, जिससे देश की खाद्य तेल जरूरतों को स्थानीय स्तर पर पूरा किया जा सके।


मिशन के मुख्य उद्देश्य और रणनीतियाँ

  1. पाम ऑयल पर विशेष ध्यान: NMEO-Oilseeds के तहत पाम ऑयल के उत्पादन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इसके लिए किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले पौधों और तकनीकी सहायता प्रदान की जा रही है। उत्तर-पूर्वी राज्यों और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में पाम ऑयल उत्पादन के लिए प्राथमिकता दी जा रही है।
  2. न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP): तिलहन की फसलों पर सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है, जिससे किसानों को उचित मूल्य मिल सके।
  3. तकनीकी और वित्तीय सहायता: मिशन के तहत किसानों को आधुनिक कृषि उपकरण, बेहतर बीज, और नई कृषि तकनीकों के लिए सब्सिडी दी जा रही है।
  4. जलवायु-अनुकूल फसलें: इस मिशन में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को ध्यान में रखते हुए तिलहन की फसलों को इस प्रकार विकसित किया जा रहा है कि वे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों में भी अच्छी उपज दे सकें।

मिशन का क्रियान्वयन और किसानों को लाभ

इस मिशन का क्रियान्वयन केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से किया जाएगा। सरकार ने इस मिशन के लिए 11,040 करोड़ रुपये का बजट तय किया है। इसके तहत किसानों को नई तकनीकों के बारे में जागरूक किया जाएगा, कृषि अनुसंधान केंद्रों की स्थापना की जाएगी, और भंडारण सुविधाओं का निर्माण किया जाएगा।

किसानों को होने वाले लाभ:

  1. उत्पादन में वृद्धि – उन्नत बीजों और तकनीकों से उत्पादन में वृद्धि।
  2. आर्थिक सशक्तिकरण – MSP और सब्सिडी से किसानों की आय में सुधार।
  3. कम जोखिम – कृषि उपकरणों और बीजों पर सब्सिडी से लागत कम।
  4. जलवायु-अनुकूल खेती – नई तकनीकों से जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का समाधान।
  5. रोजगार के अवसर – खाद्य तेल प्रसंस्करण उद्योग में रोजगार के नए अवसर।

भारत में तेल पाम और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे भूमि की कमी, प्राकृतिक आपदाएँ, और कृषि जागरूकता की कमी। हालांकि, यदि सरकार और किसानों के संयुक्त प्रयासों से इन चुनौतियों का समाधान किया जाता है, तो NMEO-OP और NMEO-Oilseeds दोनों मिशन भारतीय कृषि क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं।

इस तरह, राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम और राष्ट्रीय तिलहन और खाद्य तेल मिशन भारत को खाद्य तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के रास्ते पर एक मजबूत कदम साबित हो सकते हैं।

राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम (NMEO-OP) क्या है?

राष्ट्रीय मिशन ऑन एडीबल ऑइल्स – ऑयल पाम (NMEO-OP) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाना और आयात पर निर्भरता को कम करना है। इसका प्रमुख लक्ष्य तेल पाम की खेती को बढ़ावा देना है, जो उच्चतम मात्रा में तेल उत्पन्न करने वाली फसल है।

तेल पाम की खेती के लिए कौन से राज्य प्रमुख हैं?

भारत में तेल पाम की खेती मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और केरल में होती है, जो कुल उत्पादन का लगभग 98% योगदान करते हैं। इसके अलावा, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, गुजरात और मिजोरम में भी इसकी खेती होती है। उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर और नागालैंड में भी इस फसल पर ध्यान दिया जा रहा है।

तेल पाम की खेती में प्रमुख चुनौतियाँ क्या हैं?

तेल पाम की खेती में प्रमुख चुनौतियाँ निम्नलिखित हैं:
फ्रेश फ्रूट बंचेस (FFBs) के लिए मूल्य अस्थिरता और बाजार में उतार-चढ़ाव।
किसानों को FFB के मूल्य पर कोई सरकारी समर्थन नहीं मिलना।
पर्यावरणीय बदलाव और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समस्याएँ।
उत्पादन क्षेत्र में भूमि की कमी और विस्तार की आवश्यकता।

भारत में तेल पाम की खेती का वर्तमान क्षेत्रफल कितना है?

भारत में 2020-21 तक तेल पाम की खेती का कुल क्षेत्रफल 3.70 लाख हेक्टेयर था। हालांकि, देश में फलने वाली भूमि अभी भी केवल 1.87 लाख हेक्टेयर है, जिससे इस क्षेत्र में वृद्धि की काफी संभावनाएँ हैं।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Latest Articles