2025-26 रबी विपणन सत्र के लिए भारत सरकार ने 30 मिलियन टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है। यह फैसला कृषि मंत्रालय द्वारा 2024-25 फसल वर्ष में रिकॉर्ड 115 मिलियन टन उत्पादन के अनुमान के बावजूद लिया गया है। यह लक्ष्य पिछले वर्षों की तुलना में सीमित है, जिससे किसानों और खाद्यान्न बाजार पर बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।
गेहूं की खरीद: पिछले सालों का प्रदर्शन
नीचे तालिका में पिछले तीन वर्षों में भारत सरकार द्वारा गेहूं की खरीद और लक्ष्य की तुलना की गई है।
वर्ष | लक्ष्य (मिलियन टन) | वास्तविक खरीद (मिलियन टन) | मुख्य कारण |
---|---|---|---|
2024-25 | 30-32 | 26.6 | उत्पादन में कमी और बाजार की अस्थिरता |
2023-24 | 34.15 | 26.2 | खराब मौसम और गोदामों की कमी |
2022-23 | 44.4 | 18.8 | सूखा और उत्पादन में भारी गिरावट |
गेहूं की वर्तमान स्थिति और उत्पादन संभावनाएँ:
देश में इस समय 31.9 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई हो चुकी है, और अनुकूल मौसम के कारण फसल की स्थिति बेहतर है। कृषि मंत्रालय के अनुसार, 2024-25 में गेहूं उत्पादन 115 मिलियन टन तक पहुंच सकता है, जो पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी दर्शाता है।
सरकार का खरीद लक्ष्य: कारण और रणनीति
1. भंडारण क्षमता का मुद्दा:
सरकारी गोदामों में सीमित भंडारण क्षमता है। खाद्य निगम (FCI) और राज्य एजेंसियां खरीद प्रक्रिया को संभालती हैं, लेकिन अधिक उत्पादन के बावजूद गोदामों की कमी एक प्रमुख बाधा है।
2. MSP की भूमिका:
इस सत्र के लिए गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य ₹2,425 प्रति क्विंटल तय की गई है। हालांकि, यह मूल्य किसानों के उत्पादन लागत और उनकी आय आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाने में कितना कारगर होगा, यह समय बताएगा।
3. निजी क्षेत्र की भागीदारी:
भारत सरकार ने निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतिगत सुधारों का संकेत दिया है। इसका उद्देश्य गेहूं की खरीद को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मक बनाना है, जिससे किसानों को बेहतर मूल्य मिल सके और सरकारी भंडारण पर दबाव कम हो। निजी कंपनियों द्वारा खरीद को बढ़ावा देने से सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी कम हो सकती है। हालांकि, इस कदम को सफल बनाने के लिए यह जरूरी होगा कि निजी कंपनियां न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे खरीदारी न करें, जिसके लिए निगरानी तंत्र का निर्माण किया जाएगा।
किसानों और बाजार पर प्रभाव:
किसानों की आय:
कम सरकारी खरीद का मतलब है कि किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए निजी व्यापारी के पास जाना होगा। कई बार निजी व्यापारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम कीमत पर फसल खरीद सकते हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। अगर सरकार ने कम खरीद लक्ष्य तय किया है, तो किसानों को उनकी फसल की उचित कीमत नहीं मिल पाएगी, जो उनकी आय पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
बाजार में अस्थिरता:
सरकारी खरीद कम होने से गेहूं की आपूर्ति बाजार में बढ़ जाएगी, जिससे कीमतों में गिरावट आ सकती है। अधिक आपूर्ति और कम सरकारी खरीद से किसानों को गेहूं बेचने में मुश्किल हो सकती है, और कीमतें अस्थिर हो सकती हैं। इससे बाजार में उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता पैदा हो सकती है।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) पर असर:
अगर सरकारी खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं होता, तो यह सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के लिए अनाज की आपूर्ति में कमी का कारण बन सकता है। PDS के तहत गरीबों को सस्ता अनाज मुहैया कराने के लिए सरकार को पर्याप्त भंडारण की आवश्यकता होती है। अगर गेहूं की खरीद कम होगी, तो यह प्रणाली के संचालन को प्रभावित कर सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को जरूरी अनाज की कमी हो सकती है।
नवीनतम खबरें और किसान संगठनों की प्रतिक्रिया:
> किसान संगठनों ने इस फैसले पर सवाल उठाते हुए इसे “किसानों के लिए हानिकारक” बताया है। उनका कहना है कि सरकार को उत्पादन बढ़ने के बावजूद खरीद लक्ष्य कम नहीं करना चाहिए।
> भारतीय किसान यूनियन (BKU) ने मांग की है कि खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी और सरल बनाया जाए।
> NABARD की एक रिपोर्ट के अनुसार, MSP की गारंटी किसानों की आर्थिक स्थिरता के लिए आवश्यक है।
सरकार के लिए सुझाव और भविष्य की योजना:
सरकार को गेहूं खरीद प्रक्रिया को सुधारने के लिए गोदामों की क्षमता बढ़ानी चाहिए, जिससे अधिक उत्पादन के बावजूद खरीद सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा, सरकारी और निजी क्षेत्र के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरूरत है, ताकि किसानों को MSP से कम मूल्य पर अपनी फसल न बेचनी पड़े। साथ ही, किसानों को MSP और सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूक करने के लिए व्यापक अभियान चलाना आवश्यक है, ताकि वे अपनी फसल का सही मूल्य प्राप्त कर सकें।
Frequently Asked Questions:
सरकार ने गेहूं की खरीद का लक्ष्य क्यों घटाया?
भारत सरकार ने 2025-26 रबी विपणन सत्र के लिए गेहूं खरीद का लक्ष्य 30 मिलियन टन तय किया है। यह निर्णय गेहूं के उत्पादन में वृद्धि के बावजूद गोदामों की सीमित क्षमता, बाजार अस्थिरता, और किसानों को MSP से कम मूल्य पर फसल बेचने से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है।
गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?
2025-26 सत्र के लिए गेहूं का MSP ₹2,425 प्रति क्विंटल तय किया गया है। MSP का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य सुनिश्चित करना है।
कम सरकारी खरीद का किसानों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
कम सरकारी खरीद का मतलब है कि किसानों को अपनी फसल निजी व्यापारियों को बेचनी पड़ेगी, जो कई बार MSP से कम मूल्य पर खरीद करते हैं। इससे किसानों की आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।